ख़ास बातें
- आंबेडकर हिन्दू धर्म की जमकर आलोचना करते थे
- 1951 में आंबेडकर ने नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था
- 1956 में आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया था
- बौद्ध धर्म अपनाने के दौरान उन्होंने हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करने की शपथ ली थी
- यही शपथ इसी महीने केजरीवाल के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने दिलवाई तो उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा
हिन्दी के जाने-माने कवि मुक्तिबोध आपसी बातचीत में अक्सर एक लाइन सवाल की तरह दोहराते रहते थे- पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?
मुक्तिबोध क्लास पॉलिटिक्स की बात करते थे और उनकी यह लाइन आज भी सवाल के रूप में उछलती रहती है. एक लाइन का यह सवाल भारतीय समाज और राजनीति में आज भी उतना ही प्रासंगिक है. आम आदमी पार्टी जब बनी, तब अरविंद केजरीवाल को लेकर भी यह सवाल उठता रहा कि उनकी पॉलिटिक्स क्या है?
यहाँ तक कि अन्ना हज़ारे के आंदोलन को लेकर भी सवाल उठ रहे थे कि उनकी पॉलिटिक्स क्या है?
अरविंद केजरीवाल का एक वीडियो क्लिप आए दिन शेयर होता रहता है. इस वीडियो में अरविंद कह रहे हैं, ”जब बाबरी मस्जिद का ध्वंस हुआ तो मैंने नानी से पूछा कि नानी अब तो तुम बहुत ख़ुश होगी? अब तो आपके भगवान राम का मंदिर बनेगा. नानी ने जवाब दिया कि नहीं बेटा मेरा राम किसी की मस्जिद तोड़कर ऐसे किसी मंदिर में नहीं बस सकता.”
केजरीवाल ने 2014 में अपनी नानी की यह कहानी सुनाई थी.
लेकिन इसी साल 11 मई को गुजरात के राजकोट में अरविंद केजरीवाल ने अपनी नानी के उलट एक बूढ़ी अम्मा की कहानी सुनाई. इस कहानी में केजरीवाल बताते हैं, ”एक बूढ़ी अम्मा आईं. आकर धीरे से मेरे कान में कहा, बेटा अयोध्या के बारे में सुना है?”
मैंने कहा, “अयोध्या जानता हूँ अम्मा. वही अयोध्या न जहाँ भगवान राम का जन्म हुआ था?” वो बोलीं, “हाँ, वही अयोध्या. कभी गए हो वहाँ पर?” मैंने कहा, “हाँ गया हूँ. राम जन्मभूमि जाकर बहुत सुकून मिलता है.” वो बोलीं, “मैं बहुत ग़रीब हूँ. गुजरात के एक गाँव में रहती हूँ. मेरा बहुत मन है अयोध्या जाने का.”
मैंने कहा, “अम्मा आपको अयोध्या ज़रूर भेजेंगे. एसी (एयर कंडीशनर) ट्रेन से भेजेंगे. एसी होटल में ठहराएंगे. गुजरात की एक बुज़ुर्ग और माताजी को हम अयोध्या में रामचंद्रजी के दर्शन कराएंगे. अम्मा एक ही विनती है. भगवान से प्रार्थना करो कि गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बने.” जब केजरीवाल ने नानी की कहानी सुनाई तब आम आदमी पार्टी कच्ची उम्र में थी और इस साल मई महीने में बूढ़ी अम्मा की कहानी सुनाई तो समय से पहले वयस्क हो चुकी थी.
भगवान श्री राम की पवित्र जन्मस्थली अयोध्या नगरी में श्री रामलला के भव्य दर्शन कर आशीर्वाद लिया। हनुमानगढ़ी में श्री बजरंग बली के दर्शन भी किए।
भगवान श्री रामचंद्र जी की आराधना कर सभी देशवासियों के स्वस्थ जीवन एवं सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।
जय श्री राम।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 26, 2021
पोस्ट Twitter समाप्त, 1
केजरीवाल का राम प्रेम
अरविंद केजरीवाल ने शायद अपनी नानी की बात नहीं मानी. वह पिछले साल ही अयोध्या गए और रामलला का दर्शन किया. केजरीवाल न केवल ख़ुद अयोध्या में जाकर रामलला का दर्शन कर रहे हैं, बल्कि हिन्दुओं के बीच चुनावी वादा भी कर रहे हैं कि वह बुज़ुर्गों को सरकारी ख़र्च पर अयोध्या ले जाएंगे.
नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फ़ैसला मंदिर के पक्ष में तो सुनाया, लेकिन साथ में यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद तोड़ना एक अवैध कृत्य था. सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले पर काफ़ी सवाल भी उठे थे.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस गांगुली उन पहले लोगों में थे जिन्होंने अयोध्या फ़ैसले पर कई सवाल खड़े किए थे. जस्टिस गांगुली का मुख्य सवाल था कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस आधार पर हिन्दू पक्ष को विवादित ज़मीन देने का फ़ैसला किया है, वो उनकी समझ से परे है.
After scornfully disrespecting the emotions & faith of a billion Hindus, after repeatedly questioning the much awaited construction of the Shree Ram Mandir, an absolutely shameless Arvind Kejriwal has gone hop-hopping to Ayodhya pretending to seek blessings…All for a few votes! pic.twitter.com/urSFNgTGQS
— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) October 26, 2021
केजरीवाल ख़ुद को राम भक्त बताने के अलावा आंबेडकर के सिद्धांतों पर भी चलने का दावा करते हैं. लेकिन हाल की घटना से उनके आंबेडकर प्रेम पर सवाल उठ रहे हैं.
राजेंद्र पाल गौतम अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट का दलित चेहरा थे. वह बौद्ध हैं. उत्तर-पूर्वी दिल्ली की सीमापुरी रिज़र्व सीट से वह दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. वह ख़ुद को आंबेडकरवादी बताते हैं.
अरविंद केजरीवाल ने 2017 में राजेंद्र पाल गौतम को अपनी कैबिनेट में शामिल किया था.
गौतम की एंट्री को भी उसी रूप में देखा गया जैसे शीला दीक्षित और बीजेपी की सरकारों में प्रतीक के तौर पर दलित चेहरे रखे जाते थे. पाँच अक्तूबर को राजेंद्र पाल गौतम दिल्ली में एक कार्यक्रम में मौजूद थे, जहाँ सैकड़ों हिन्दू बौध धर्म अपना रहे थे. राजेंद्र पाल गौतम कार्यक्रम में मंच पर थे.
राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि वह सालों से इस कार्यक्रम में शामिल होते रहे हैं. यहाँ बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले लोग वही संकल्प दोहराते हैं, जो भीम राव आंबेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपनाने के दौरान लिया था.
आंबेडकर जब बौद्ध बने
अक्तूबर 1956 में बीआर आंबेडकर ने हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपना लिया था. पाँच अक्तूबर को राजेंद्र पाल जिस मंच पर थे उससे शपथ दिलवाई गई थी कि हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी है.
इसी शपथ को लेकर बीजेपी के नेताओं ने केजरीवाल को घेरना शुरू किया. बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को हिन्दू विरोधी बताया. मोदी सरकार में किरेन रिजिजू एकमात्र बौद्ध मंत्री हैं और उन्होंने भी इस वाक़ये को लेकर सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया कि केजरीवाल हिन्दुओं से इतनी नफ़रत क्यों करते हैं.
इस मामले में अरविंद केजरीवाल फँसे हुए लग रहे थे. राजेंद्र पाल गौतम ने बयान जारी किया कि वह किसी भी धर्म के अराध्य का अपमान नहीं करते हैं.
लेकिन बात यहीं तक नहीं रुकी. नौ अक्तूबर की शाम राजेंद्र पाल गौतम ने ट्विटर पर केजरीवाल कैबिनेट से इस्तीफ़े की घोषणा कर दी. गौतम ने लिखा है, ”मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से अरविंद केजरीवाल जी और मेरी पार्टी पर किसी तरह की आँच आए.”
अपने इस्तीफ़े में राजेंद्र पाल गौतम ने स्वीकार किया है कि वह पाँच अक्तूबर को विजयादशमी के मौक़े पर दिल्ली में रानी झांसी रोड पर स्थित आंबेडकर भवन में जय भीम बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ़ इंडिया की ओर से आयोजित बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह में शामिल हुए थे.
राजेंद्र पाल गौतम ने लिखा है, ”इसी कार्यक्रम में बाबा साहब के प्रपौत्र राजरत्न आंबेडकर ने बीआर आंबेडकर के 22 संकल्प दोहराए थे और उन्होंने भी 10 हज़ार लोगों के साथ यह शपथ दोहराई थी. इसी शपथ में हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करने की बात है.”
15 अक्तूबर, 1956 को बीआर आंबेडकर के सामने हज़ारों की भीड़ खड़ी थी और उन्होंने लोगों को ये 22 शपथ दिलवाई थी-
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