बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना क़रीब तीन साल बाद दिल्ली के दौरे पर हैं. चुनाव के एक साल पहले अवामी लीग की राजनीति के लिए शेख़ हसीना के इस दौरे के महत्व पर तमाम चर्चाएं चल रही हैं.
बीते दो चुनावों यानी 2014 और 2018 के चुनावों को लेकर जब कई सवाल उठे थे, तब भारत अवामी लीग के साथ खड़ा था. लगातार 13 वर्षों तक सत्ता में रहने के दौरान अवामी लीग ने भारत को बांग्लादेश के लिए संवेदनशील चटगांव और मोंगला बंदरगाह के इस्तेमाल या ट्रांज़िट-ट्रांसशिपमेंट की सुविधा दी है.
लेकिन जो बड़े मुद्दे बांग्लादेश के हित से जुड़े हैं उनका समाधान नहीं हो रहा है. तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे पर प्रस्तावित समझौता लंबे समय से अधर में है.
दूसरी ओर, भारत के भरोसे के बावजूद सीमावर्ती इलाक़ों में लोगों की हत्याओं का सिलसिला नहीं थम रहा है. यही वजह है कि इस बार बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के भारत दौरे पर उम्मीदों और इससे संभावित हासिल के सवाल पर राजनीतिक हलकों में गहन विश्लेषण हो रहा है.
कई विश्लेषकों का कहना है कि बांग्लादेश के हितों से जुड़े मुद्दों का समाधान नहीं होने के कारण पहले काफी आलोचना हुई है. इसी वजह से शेख़ हसीना का मौजूदा सफर उनकी सरकार और अवामी लीग के लिए राजनीतिक लिहाज़ से बेहद अहम है. हालांकि ढाका स्थित विदेश मंत्रालय शीर्ष नेता के इस दौरे को राजनीतिक नज़रिए से देखने के लिए तैयार नहीं है.