केरल के पथानामथिट्टा ज़िले में कथित रूप से आर्थिक समृद्धि के लिए दो महिलाओं की बलि देने का मामला सामने आया है.
अंग्रेजी अख़बार द हिंदू में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, केरल के दो ज़िलों की पुलिस पिछले कुछ वक़्त से दो महिलाओं पद्मम और रोसली की गुमशुदगी के मामले में जांच कर रही थी.
इसी सिलसिले में कोच्चि सिटी पुलिस ने एक दंपति भगवल सिंह और लैला के साथ शफ़ी उर्फ़ रशीद को हिरासत में लिया. और इन तीनों के साथ हुई पूछताछ में पुलिस को ये चौंकाने वाली जानकारी मिली है.
कोच्चि सिटी पुलिस के पुलिस अधीक्षक सीएच नागाराजु कहते हैं, “पद्मम की हत्या सितंबर के आख़िरी हफ़्ते में हुई थी. वहीं दूसरी महिला की हत्या जून में की गयी थी. इन तीनों लोगों ने दोनों महिलाओं की बर्बर ढंग से हत्या करके उनकी लाशों को अपने ही घर में दफ़ना दिया. अभियुक्तों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है और हमने उनके बयानों की पुष्टि भी कर ली है.”
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक़, शफ़ी और भगवल सिंह आर्थिक तंगी से गुज़र रहे थे.
भगवल सिंह को आर्थिक संकट से निपटने के लिए इंसानी बलि देने की सलाह दी गयी जिसे शफ़ी ने बढ़ावा दिया. इसके बाद शफ़ी कुछ पैसों के बदले में महिलाओं को लेकर आए.
शफ़ी इन महिलाओं को नौकरी और आर्थिक लाभ के प्रलोभन देकर फुसलाया करता था. पुलिस अभियुक्तों के घर में दफ़नाई गयी लाशों की डीएनए जांच करके पीड़ितों की पहचान की पुष्टि करेगी.
इंटरपोल ने भारत को किया निराश

इंटरपोल ने एक बार फिर खालिस्तान अलगाववादी गुरपटवंत सिंह पन्नू के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी की भारतीय अपील को ठुकरा दिया है. ये दूसरा मौका है जब इंटरपोल ने कनाडा स्थित सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक और खालिस्तान समर्थक के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से मना किया है.
अंग्रेजी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, भारतीय अधिकारी अपने मामलों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दे सके.
सूत्रों ने ये भी बताया कि इंटरपोल ने यह भी संकेत दिया कि यूएपीए कानून दुरुपयोग करने के लिए बनाया गया है, जिसके तहत भारत ने रेड कॉर्नर नोटिस के लिए कहा था. इंटरपोल ने कहा है कि इस कानून से सरकार के आलोचकों, अल्पसंख्यक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं को टारगेट किया जा रहा है.
हालांकि, सूत्रों ने कहा कि इंटरपोल ने स्वीकार किया कि पन्नू एक हाई-प्रोफाइल सिख अलगाववादी हैं और एसएफजे एक ऐसा समूह है जो एक स्वतंत्र खालिस्तान की मांग करता है. फिर भी, उन्होंने कहा कि पन्नू की गतिविधियों का एक स्पष्ट राजनीतिक आयाम है, जो इंटरपोल के संविधान के अनुसार रेड कॉर्नर नोटिस का विषय नहीं हो सकता है.
भारत ने यूएनजीए में डाला रूस के ख़िलाफ़ वोट

इस साल की शुरुआत में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद भारत कूटनीतिक स्तर पर काफ़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है.
पश्चिमी देश उस पर रूस की कड़ी आलोचना नहीं करने का आरोप लगाते रहे हैं. लेकिन अब संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में आए एक प्रस्ताव पर भारत ने रूस के ख़िलाफ़ मतदान किया है.
हिंदी अख़बार अमर उजाला की ख़बर के मुताबिक़, अल्बानिया ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर अवैध क़ब्ज़े को लेकर रूस के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक मसौदा प्रस्ताव लाया गया. इस प्रस्ताव में रूस की निंदा करने के लिए खुले मतदान की मांग की गई लेकिन पुतिन इसके लिए गुप्त मतदान की मांग पर अड़े थे जिसे भारत ने ख़ारिज कर दिया है और इसके ख़िलाफ़ जाकर वोटिंग भी कर दी है.
भारत सहित संयुक्त राष्ट्र के 107 सदस्य देशों ने रिकॉर्ड वोट के पक्ष में मतदान करने के बाद गुप्त मतदान के लिए मास्को की मांग को ख़ारिज कर दिया था. वहीं, केवल 13 देशों ने गुप्त मतदान के लिए रूस के आह्वान के पक्ष में मतदान किया जबकि 39 ने भाग नहीं लिया. रूस और चीन उन देशों में शामिल थे जिन्होंने मतदान नहीं किया.
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