बिहार का सिवान ज़िला इस बीच फिर से सुर्खियों में है. हालिया मामला ज़िले में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा और उसके बाद हुई कार्रवाई में एक नाबालिग लड़के की गिरफ़्तारी से जुड़ा है.
दरअसल, ज़िले के भीतर 8 सितंबर (गुरुवार) को महावीरी अखाड़ा शोभायात्रा के दौरान हिंसा भड़की थी और उसके बाद की गई गिरफ़्तारियों को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा हो रहा है.
यह हंगामा हैदराबाद से एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी के ट्वीट के बाद और भी गर्माता नज़र आ रहा है. ओवैसी ने ट्विटर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज़ करते हुए सवाल खड़े किए हैं कि ‘कैसे नीतीश कुमार के राज में बच्चे महफ़ूज़ नहीं. कैसे पुलिस दंगाइयों को पकड़ने के बजाय मुसलमान बच्चों को निशाना बना रही है.’

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पूरा मामला क्या है?
गौरतलब है कि सिवान ज़िले के बड़हरिया थाना क्षेत्र में पुरानी बाज़ार के पश्चिम टोला में बीते गुरुवार (8 सितंबर) को महावीरी अखाड़ा शोभायात्रा निकाली गई थी.
इस शोभायात्रा के पश्चिम टोला मस्जिद तक पहुंचते-पहुंचते हिंसा भड़क उठी. हिन्दू और मुसलमान समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए. दोनों ओर से पथराव के बाद इलाक़े में भारी आगजनी हुई. पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए.
प्रशासन ने हिंसा और मारपीट के मामले में 100 अज्ञात और 35 लोगों पर नामित एफ़आईआर दर्ज की है.
दोनों समुदायों से 10-10 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, लेकिन इन्हीं गिरफ़्तारियों में ‘रिज़वान’ नाम के एक ‘नाबालिग लड़के’ के पकड़े जाने को लेकर सियासत गर्माती नज़र आ रही है.
नाबालिग लड़के की रिहाई को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है. #ReleaseRizwan के नाम से ट्विटर ट्रेंड चलाए जा रहे हैं. कुछ लोग जहां लड़के की उम्र 8 साल लिख रहे हैं, वहीं कुछ लोग 12-13 साल. हालांकि, प्राप्त सूचनाओं के हिसाब से पुलिस ने उक्त लड़के को हिरासत में लेने के बाद बाल सुधार गृह भेज दिया है.

MOHAMMAD SHAHABUDDIN
क्या कह रहा है परिवार?
इस बीच रिज़वान के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस रिज़वान की रिहाई के लिए उनसे पैसे मांग रही है. बीबीसी से बातचीत में रिज़वान के चचेरे भाई मोहम्मद शहाबुद्दीन (24 साल) कहते हैं, “देखिए जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन मेरा भाई मग़रिब की नमाज़ के लिए वहां (मस्जिद) गया था. प्रशासन ने नमाज़ पढ़ने के लिए 10 मिनट का समय दिया था कि तभी वहां से महावीरी जुलूस निकला, और भगदड़ हो गई.”
”जुलूस तो हर साल निकलता है लेकिन इस बार प्रशासन मुस्तैद नहीं दिखा. जबकि वहां पहले भी हिंसा हुई है. पुलिस देर रात आई और मेरे दादा (मोहम्मद यासीन- 65 साल) के साथ ही रिज़वान को भी पूछताछ के लिए ले गई. मेरे दादा तो पूर्व सरपंच हैं. वो इस जुलूस को इलाक़े से शांतिपूर्वक निकलवाने में लगे थे, लेकिन पुलिस उनको भी ले गई. ऐसा कहा गया कि लोगों को चिन्हित करवाने के बाद इन्हें छोड़ दिया जाएगा लेकिन बाद में पता चला कि सबको जेल भेज दिया गया.”
उन्होंने उम्र को लेकर बताया कि रिज़वान के जन्म की तारीख एक जनवरी 2014 है. उन्होंने हमें रिज़वान के जन्म की पुष्टि के लिए काग़ज़ात भी भेजे.

MOHAMMAD SHAHABUDDIN
वहीं, रिज़वान की रिहाई के लिए पैसे मांगे जाने के आरोपों पर रिज़वान की मां वकीलन खातून कहती हैं, “देखिए रिज़वान को जब पुलिस पकड़कर ले गई तब तो बोली थी कि लोगों को पहचानने के लिए ले जा रही लेकिन उसको जेल भेज दिया. जब हमको कोर्ट की ओर से बुलाया गया, तो हमने देखा कि रिज़वान के हाथ में रस्सी बंधी है. हमारे सामने उसको खोल दिया तो वो हमसे आकर लिपट गया. रोने लगा. हम बोले कि सब ठीक होगा. तुम छूट जाओगे लेकिन वो तो बच्चा है.”
”उसका कोई दोष नहीं है, और जब हम लोग बाहर आए तो पुलिसवाले आए. एक ड्रेस में था और एक सादा ड्रेस पहने था. हमसे पूछा कि बच्चे के परिवार से कौन है? जब हम बोले कि हम हैं तो 10 से 12 हज़ार रुपया मांगने लगा. हम बोले कि हम तो ग़रीब लोग हैं कहां से पैसा लाएंगे? तो कहने लगा कि ये आप जानिए. लोग तो अपना खेत बेचकर भी पैसा देते हैं. हम लोग ग़रीब लोग हैं, कहां से पैसा लाएंगे? रिज़वान की कोई ग़लती नहीं है.”
क्या कह रही है पुलिस?
रिज़वान की गिरफ़्तारी के संदर्भ में हमने बड़हरिया थानाध्यक्ष प्रवीण प्रभाकर से बात की.
बीबीसी से बातचीत में थानाध्यक्ष कहते हैं, “देखिए पहली बात तो यह है कि रिज़वान की जो तस्वीर वायरल की जा रही है वो ठीक नहीं है, और खुद मजिस्ट्रेट के सामने लड़के ने अपनी उम्र 13 साल स्वीकार की है. इसके अलावा पुलिस के पास ऐसे तमाम साक्ष्य हैं कि वो पत्थरबाज़ी में शामिल था. बाकी सही उम्र का जांच में पता चलेगा.”
वहीं, रिज़वान की मां के रिश्वत मांगने के आरोप पर थानाध्यक्ष ने कहा कि ‘ऐसी बातें सरासर झूठी हैं. ऐसा कहीं होता है क्या?’
रिज़वान की सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर और बड़हरिया के थानाध्यक्ष के दावे की पुष्टि के लिए हमने फिर से रिज़वान के परिजनों से संपर्क किया, और उनसे रिज़वान की पुरानी तस्वीर मांगी.
रिज़वान के भाई शहाबुद्दीन ने हमसे कहा कि ‘सोशल मीडिया पर चल रही तस्वीरें सच्ची हैं. हां, एक बात है कि वो तस्वीर पिछली ईद के दौरान की हैं.’
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